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अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि आर्कटिक सागर पर जमी बर्फ पिघलकर इस साल पिछले 30 वर्षो के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. आर्कटिक दुनिया का तापमान नियंत्रण में रखने के लिए काफी महत्वपूर्ण है इसलिए वैज्ञानिकों में इसे लेकर चिंता है.

शोध में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि ये मूलभूत बदलावों का एक अंग है.

आम तौर पर यहां की समुद्री बर्फ का पिघलना सितंबर तक जारी रहता है, इसलिए बर्फ के स्तर का और गिरना संभव है. (BBC से)

सर्दियों में आर्कटिक सागर बर्फ से ढक जाती है और तापमान पढ़ने के साथ पिघलते जाती है, लेकिन पिछले तीन दशकों में सैटेलाइट ने प्रति दशक गर्मियों के समयकाल में 13 फीसदी की कमी दर्ज की है.
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